नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद शशि थरूर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की व्याख्यान में की गई तारीफ पर पार्टी के अंदर-बहर दोनों ओर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। इस मामले में बीजेपी ने कांग्रेस पर “िन्साफ-नही-अंदर लोकतंत्र” का आरोप लगाया है, जबकि कांग्रेस ने थरूर की टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा है कि वे पार्टी की नीति का प्रतिनिधित्व नहीं करते।
थरूर की तारीफ का कारण और उनकी व्याख्या
शशि थरूर ने रामनाथ गोenka व्याख्यान में मोदी की उस बात की प्रशंसा की, जिसमें प्रधानमंत्री ने भारत की विरासत, भाषाओं और ज्ञान प्रणालियों को पुनर्स्थापित करने की ज़रूरत पर जोर दिया था।
थरूर ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि मोदी हमेशा “चुनावी मोड” में होने का आरोप लगाते हैं, लेकिन वे वास्तव में “भावनात्मक मोड” में हैं — लोगों की समस्या को समझने और उन्हें हल करने के इरादे से।
उन्होंने थॉमस मैकाले की गुलामी मानसिकता की बात उठाई और कहा कि मोदी का मिशन है देशवासियों में अपनी सांस्कृतिक गरिमा और भारतीय ज्ञान प्रणाली को पुनर्जीवित करना।
थरूर ने यह भी कहा कि उन्होंने यह पोस्ट एक ठंड और खांसी के बावजूद लिखा, क्योंकि उन्हें यह विचार बहुत मायने रखता था।
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कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस की तरफ से थरूर की तारीफ पर असहमति स्पष्ट हुई। पार्टी की नेता सुप्रिया श्रीनाटे ने कहा कि उन्हें मोदी की व्याख्यान में “कोई ऐसी बात नहीं मिली जिसे सराहा जाए”।
उनका कहना है कि थरूर की बातें कांग्रेस की आधिकारिक विचारधारा से मेल नहीं खाती हैं और यह सिर्फ व्यक्तिगत राय है, जिसे पार्टी की पूरी मंजूरी नहीं मिली है।
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बीजेपी की तीखी निंदा
बीजेपी प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि कांग्रेस के अंदर लोकतंत्र नाम का कोई मायना नहीं है — क्योंकि जो नेता “राष्ट्रीय हित” बात करता है, उस पर fatwa (निर्णय) जारी किया जाता है।
पूनावाला ने कांग्रेस की तुलना “इंदिरा नाज़ी कांग्रेस” से की है और आरोप लगाया है कि पार्टी को सिर्फ पारिवारिक राजनीति (परिवार-हित) में रुचि है, न कि देशहित में।
बीजेपी का यह भी कहना है कि यह सिर्फ थरूर के खिलाफ नहीं, बल्कि उनके जैसे किसी भी नेता के खिलाफ होता है जो परिवार या संगठन के लाभ से ऊपर राष्ट्रीय मुद्दों को रखे।
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पृष्ठभूमि
यह विवाद थरूर की उस राजनीतिक छवि की ओर भी इशारा करता है, जिसमें वे पारंपरिक पार्टी लाइन से अलग आवाज़ उठाते रहे हैं।
बीजेपी का कहना है कि यह सिर्फ एक उदाहरण है कि कैसे कांग्रेस उन नेताओं को दबाती है जो राष्ट्रीय हित को पारिवारिक या गुटीय राजनीति से ऊपर रखते हैं।
थरूर ने पहले भी अन्य मौकों पर मोदी की विदेश नीति की तारीफ की है, जिससे यह सवाल उठता रहा है कि क्या वह पार्टी के अंदर अलग सोच बनाए रखते हैं।
फिर भी, थरूर ने स्पष्ट किया है कि उनकी तारीफप्रधानता एक राजनीतिक कदम नहीं है और न ही वह बीजेपी में शामिल होने के इरादे में हैं।
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निष्कर्ष:
यह घटनाक्रम न केवल कांग्रेस के अंदर विचारों की विविधता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारतीय राजनीति में “देशहित बनाम गुट-हित” विविध दृष्टिकोण किस तरह सामने आ सकते हैं। बीजेपी इस विवाद का फायदा अपने तरीके से ले रही है और इसे कांग्रेस की असहिष्णुता के प्रमाण के रूप में पेश कर रही है, जबकि कांग्रेस इसे सिर्फ
एक व्यक्तिगत राय की प्रतिक्रिया बता रही है।
